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कविता

कविता

राहुल देव


में सोचता हूँ
क्या है कविता ?
भर कर जो मन में
घर कर जाए
सोच जगाए
भाव उठाए
कल्पना के घोड़े पर सवार
चलती जाए
मुदित बनाकर
हृदय को निर्मल बनाकर
भावनाओं को जगाकर
शांत हो जाए
वो
कवि की कविता बन जाए !


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